कहने को ग़म-ए-हिज्र बड़ा दुश्मन-ए-जाँ है By दोस्त, हिज्र, Sher << ख़ुद अपने हिज्र की ख़्वाह... बिछड़ते वक़्त उन आँखों मे... >> कहने को ग़म-ए-हिज्र बड़ा दुश्मन-ए-जाँ है पर दोस्त भी इस दोस्त से बेहतर नहीं मिलता Share on: