कहने को लफ़्ज़ दो हैं उम्मीद और हसरत By Sher << ख़ुदा जाने दुआ थी या शिका... जिस के ख़याल में हूँ गुम ... >> कहने को लफ़्ज़ दो हैं उम्मीद और हसरत इन में निहाँ मगर इक दुनिया की दास्ताँ है Share on: