क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं By Sher << जीते अगर न हम तो क्यूँ ज़... सहरा की अब हवा जो लगी हो ... >> क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ prison of life and sorrow's chains in truth are just the same then relief from pain, ere death,why should man obtain Share on: