क़ैद-ए-मज़हब की गिरफ़्तारी से छुट जाता है By Sher << क़ामत तिरी दलील क़यामत की... पयाम-बर न मयस्सर हुआ तो ख... >> क़ैद-ए-मज़हब की गिरफ़्तारी से छुट जाता है हो न दीवाना तो है अक़्ल से इंसाँ ख़ाली Share on: