कैसा झूटा सहारा है ये दुख से आँख चुराने का By Sher << कौन पूछे मुझ से मेरी गोशा... बदन के दोनों किनारों से ज... >> कैसा झूटा सहारा है ये दुख से आँख चुराने का कोई किसी का हाल सुना कर अपना-आप छुपाता है Share on: