क़िस्सा-ए-मजनूँ-ओ-फ़र्हाद भी इक पर्दा है By Sher << हाथों से उस के शीशा-ए-दिल... वाक़िआ ये है कि रस्ता और ... >> क़िस्सा-ए-मजनूँ-ओ-फ़र्हाद भी इक पर्दा है जो फ़साना है यहाँ शरह-ओ-बयाँ है अपना Share on: