कैसे क़िस्से थे कि छिड़ जाएँ तो उड़ जाती थी नींद By Sher << तअ'ल्लुक़ तोड़ कर उस ... कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभ... >> कैसे क़िस्से थे कि छिड़ जाएँ तो उड़ जाती थी नींद क्या ख़बर थी वो भी हर्फ़-ए-मुख़्तसर हो जाएँगे Share on: