कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़र By Sher << मैं मोहब्बत न छुपाऊँ तू अ... मैं सिसकता रह गया और मर ग... >> कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़र आज वो रौनक़-ए-बाज़ार नज़र आते हैं Share on: