कल शजर की गुफ़्तुगू सुनते थे और हैरत में थे By Sher << ख़ौफ़ ऐसा है कि हम बंद मक... जिस रात खुला मुझ पे वो मह... >> कल शजर की गुफ़्तुगू सुनते थे और हैरत में थे अब परिंदे बोलते हैं और शजर ख़ामोश हैं Share on: