कल सू-ए-ग़ैर उस ने कई बार की निगाह By Sher << टपकते हैं शब-ए-ग़म दिल के... सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़द... >> कल सू-ए-ग़ैर उस ने कई बार की निगाह लाखों के बीच छुपती नहीं प्यार की निगाह Share on: