टपकते हैं शब-ए-ग़म दिल के टुकड़े दीदा-ए-तर से By Sher << सौ बार बंद-ए-इश्क़ से आज़... कल सू-ए-ग़ैर उस ने कई बार... >> टपकते हैं शब-ए-ग़म दिल के टुकड़े दीदा-ए-तर से सहर को कैसे कैसे फूल चुनता हूँ मैं बिस्तर से Share on: