कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त By Sher << खाए सो पछताए और पछताए वो ... कैफ़ियत महफ़िल-ए-ख़ूबाँ क... >> कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया Share on: