खाए सो पछताए और पछताए वो भी जो न खाए By Sher << ख़लल इक पड़ गया नाहक़ गुल... कल उस सनम के कूचे से निकल... >> खाए सो पछताए और पछताए वो भी जो न खाए ये ग़म-ए-इश्क़-ए-बुताँ लड्डू है गोया बोर का Share on: