'आजिज़' की हैं उल्टी बातें कौन उसे समझाए By Sher << मैं जब भी घर से निकलता हू... ब-क़द्र-ए-ज़ौक़ मेरे अश्क... >> 'आजिज़' की हैं उल्टी बातें कौन उसे समझाए धूप को पागल कहे अंधेरा दिन को रात बताए Share on: