ये सितम की महफ़िल-ए-नाज़ है 'कलीम' इस को और सजाए जा By Sher << कमाल-ए-इश्क़ भी ख़ाली नही... लिपट भी जा न रुक 'अकब... >> ये सितम की महफ़िल-ए-नाज़ है 'कलीम' इस को और सजाए जा वो दिखाएँ रक़्स-ए-सितमगरी तू ग़ज़ल का साज़ बजाए जा Share on: