कम नहीं जल्वागरी में, तिरे कूचे से बहिश्त By Sher << तुम ही क्या जज़्ब हो गए म... तुम्हारी जल्वा-गाह-ए-नाज़... >> कम नहीं जल्वागरी में, तिरे कूचे से बहिश्त यही नक़्शा है वले इस क़दर आबाद नहीं Share on: