कमर-ए-यार है बारीकी से ग़ाएब हर चंद By Sher << वो जंगलों में दरख़्तों पे... वो लोग आज ख़ुद इक दास्ताँ... >> कमर-ए-यार है बारीकी से ग़ाएब हर चंद मगर इतना तो कहूँगा कि वो मा'दूम नहीं Share on: