वो लोग आज ख़ुद इक दास्ताँ का हिस्सा हैं By Sher << कमर-ए-यार है बारीकी से ग़... हाए वो राज़-ए-ग़म कि जो अ... >> वो लोग आज ख़ुद इक दास्ताँ का हिस्सा हैं जिन्हें अज़ीज़ थे क़िस्से कहानियाँ और फूल Share on: