कमरे में धुआँ दर्द की पहचान बना था By Sher << ख़ुशनुमा दीवार-ओ-दर के ख़... चेहरों के मैले जिस्मों के... >> कमरे में धुआँ दर्द की पहचान बना था कल रात कोई फिर मिरा मेहमान बना था Share on: