कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब By Sher << करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न ... कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब र... >> कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब आज तुम याद बे-हिसाब आए Share on: