करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो By Sher << कटते भी चलो बढ़ते भी चलो ... कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का ह... >> करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो कि ग़ुरूर-ए-इश्क़ का बाँकपन पस-ए-मर्ग हम ने भुला दिया Share on: