करता हूँ तवाफ़ अपना तो मिलती है नई राह By Sher << गुज़रते पत्तों की चाप होग... नाकाम हसरतों के सिवा कुछ ... >> करता हूँ तवाफ़ अपना तो मिलती है नई राह क़िबला भी है ये ज़ात मिरा क़िबला-नुमा भी Share on: