गुज़रते पत्तों की चाप होगी तुम्हारे सेहन-ए-अना के अंदर By Sher << चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं ... करता हूँ तवाफ़ अपना तो मि... >> गुज़रते पत्तों की चाप होगी तुम्हारे सेहन-ए-अना के अंदर फ़सुर्दा यादों की बारिशें भी मुझे भुलाने के बाद होंगी Share on: