क़सम ही नहीं है फ़क़त इस का शेवा By Sher << लहू में फूल खिलाने कहाँ स... सूप के दाने कबूतर चुग रहा... >> क़सम ही नहीं है फ़क़त इस का शेवा तग़ाफ़ुल भी है एक अंदाज़ उस का Share on: