कट गया जिस्म मगर साए तो महफ़ूज़ रहे By Sher << हुजूम-ए-बादा-ओ-गुल में हु... तसल्लियाँ भी नहीं उन की छ... >> कट गया जिस्म मगर साए तो महफ़ूज़ रहे मेरा शीराज़ा बिखर कर भी मिसाली निकला Share on: