कटा था रोज़-ए-मुसीबत ख़ुदा ख़ुदा कर के By Sher << लॉन्ड्री खोली थी उस के इश... तीस चालीस दिन तो काट दिए >> कटा था रोज़-ए-मुसीबत ख़ुदा ख़ुदा कर के ये रात आई कि सर पे मिरे अज़ाब आया Share on: