क़त्ल करना है नए ख़्वाब का सो डरता हूँ By Sher << ये तो मालूम है उन तक न सद... दो-रंगी ख़ूब नहीं यक-रंग ... >> क़त्ल करना है नए ख़्वाब का सो डरता हूँ काँप जाएँ न मिरे हाथ ये ख़ूँ करते हुए Share on: