क़याम करता हूँ अक्सर मैं दिल के कमरे में By Sher << सर्द ठिठुरी हुई लिपटी हुई... पत्थर के जिस्म में तुझे इ... >> क़याम करता हूँ अक्सर मैं दिल के कमरे में कि जम न जाए कहीं गर्द उस की चीज़ों पर Share on: