खा गया इंसाँ को आशोब-ए-मआश By Sher << ख़ुर्शीद मिसाल शख़्स कल श... काश देखो कभी टूटे हुए आईन... >> खा गया इंसाँ को आशोब-ए-मआश आ गए हैं शहर बाज़ारों के बीच Share on: