ख़बर के मोड़ पे संग-ए-निशाँ थी बे-ख़बरी By बेख़बरी, Sher << फूल खिले हैं लिखा हुआ है ... मैं ने चाहा था कि लफ़्ज़ो... >> ख़बर के मोड़ पे संग-ए-निशाँ थी बे-ख़बरी ठिकाने आए मिरे होश या ठिकाने लगे Share on: