मैं ने चाहा था कि लफ़्ज़ों में छुपा लूँ ख़ुद को By Sher << ख़बर के मोड़ पे संग-ए-निश... वो चराग़-ए-ज़ीस्त बन कर र... >> मैं ने चाहा था कि लफ़्ज़ों में छुपा लूँ ख़ुद को ख़ामुशी लफ़्ज़ की दीवार गिरा देती है Share on: