ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल By Sher << एक काफ़िर पर तबीअत आ गई सीधे अपनी बात पे आ >> ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल हवा बिखेर गई मोम-बत्तियाँ और फूल Share on: