ख़ाकिस्तर-ए-दिल में तो न था एक शरर भी By Sher << अगर हयात है देखेंगे एक दि... इसी क़दर है हयात ओ अजल के... >> ख़ाकिस्तर-ए-दिल में तो न था एक शरर भी बेकार उसे बर्बाद किया मौज-ए-सबा ने Share on: