ख़ाल और रुख़ से किस को दूँ निस्बत By Sher << पहले तो हम छान आए ख़ाक सा... शाम को जिस वक़्त ख़ाली हा... >> ख़ाल और रुख़ से किस को दूँ निस्बत ऐसे तारे न ऐसा प्यारा चाँद Share on: