'ख़ालिद' मैं बात बात पे कहता था जिस को जान By Sher << कभी हरम में है काफ़िर तो ... हर क़दम इस मुतबादिल से भर... >> 'ख़ालिद' मैं बात बात पे कहता था जिस को जान वो शख़्स आख़िरश मुझे बे-जान कर गया Share on: