ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़ By Sher << किसी ने डूबती सुब्हों तड़... ख़ैर से दिल को तिरी याद स... >> ख़ल्वत-ए-उम्मीद में रौशन है अब तक वो चराग़ जिस से उठता है क़रीब-ए-शाम यादों का धुआँ Share on: