ख़मोश रहने की आदत भी मार देती है By ख़ामोशी, Sher << अभी से इस में शबाहत मिरी ... ये जो हम तख़्लीक़-ए-जहान-... >> ख़मोश रहने की आदत भी मार देती है तुम्हें ये ज़हर तो अंदर से चाट जाएगा Share on: