ख़मोशी दिल को है फ़ुर्क़त में दिन रात By Sher << ख़ूब इस दिल पे तिरी आँख न... वो हम नहीं थे तो फिर कौन ... >> ख़मोशी दिल को है फ़ुर्क़त में दिन रात घड़ी रहती है ये आठों पहर बंद Share on: