ख़त्म होता ही नहीं मेरा सफ़र By Sher << ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-जानाँ ग... मर्तबा आज भी ज़माने में >> ख़त्म होता ही नहीं मेरा सफ़र कोई थक-हार गया है मुझ में Share on: