ख़ुद ही चराग़ अब अपनी लौ से नालाँ है By Sher << एक दिन देखने को आ जाते दोज़ख़ ओ जन्नत हैं अब मेर... >> ख़ुद ही चराग़ अब अपनी लौ से नालाँ है नक़्श ये क्या उभरा ये कैसा ज़वाल हुआ Share on: