ख़ुदा भी जब न हो मालूम तब जानो मिटी हस्ती By Sher << न मंज़िलों को न हम रहगुज़... ख़त लिखा यार ने रक़ीबों क... >> ख़ुदा भी जब न हो मालूम तब जानो मिटी हस्ती फ़ना का क्या मज़ा जब तक ख़ुदा मालूम होता है Share on: