न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं By Sher << 'ग़ालिब' न कर हुज... ख़ुदा भी जब न हो मालूम तब... >> न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं Share on: