ख़ुदा गवाह कि दोनों हैं दुश्मन-ए-परवाज़ By Sher << हम ने मिल-जुल के गुज़ारे ... रुको तो यूँ कि ठहर जाए गर... >> ख़ुदा गवाह कि दोनों हैं दुश्मन-ए-परवाज़ ग़म-ए-क़फ़स हो कि राहत हो आशियाने की Share on: