ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर By औरत, Sher << ख़मोशी के हैं आँगन और सन्... जिस ग़ुंचा-लब को छेड़ दिय... >> ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर सजावटों की बिना औरतों की ज़ात हुई Share on: