ख़ूँ शहीदान-ए-वतन का रंग ला कर ही रहा By Sher << आता हूँ मैं ज़माने की आँख... अब अनासिर में तवाज़ुन ढूँ... >> ख़ूँ शहीदान-ए-वतन का रंग ला कर ही रहा आज ये जन्नत-निशाँ हिन्दोस्ताँ आज़ाद है Share on: