ख़ुशा हो कर बुताँ कब आशिक़ों को याद करते हैं By Sher << ये चादर एक अलामत बनी हुई ... उस के चेहरे की चमक के साम... >> ख़ुशा हो कर बुताँ कब आशिक़ों को याद करते हैं 'रज़ा' हैराँ हूँ मैं किस बात पर है उतना भोला तू Share on: