ये चादर एक अलामत बनी हुई थी यहाँ By Sher << वो कहते हैं कि 'राग़ि... ख़ुशा हो कर बुताँ कब आशिक... >> ये चादर एक अलामत बनी हुई थी यहाँ दर-अस्ल ग़म का लिबादा बहुत ज़रूरी था Share on: