ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं By Sher << बुलंद आवाज़ से घड़ियाल कह... ख़याल अपना कमाल अपना उरूज... >> ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं मैं तिरी जुदाई में इस तरह भी रोता हूँ Share on: