ख़ुश-नुमा लफ़्ज़ों की रिश्वत दे के राज़ी कीजिए By Sher << तुम उस को बुलंदी से गिरान... किसी जानिब से कोई मह-जबीं... >> ख़ुश-नुमा लफ़्ज़ों की रिश्वत दे के राज़ी कीजिए रूह की तौहीन पर आमादा रहता है बदन Share on: