ख़्वाब और तमन्ना का क्या हिसाब रखना है By Sher << नाख़ुदा हो कि ख़ुदा देखते... कोई स्कूल की घंटी बजा दे >> ख़्वाब और तमन्ना का क्या हिसाब रखना है ख़्वाहिशें हैं सदियों की उम्र तो ज़रा सी है Share on: